200+ ਗੁਰਬਾਣੀ (ਪੰਜਾਬੀ) 200+ गुरबाणी (हिंदी) 200+ Gurbani (Eng) Sundar Gutka Sahib (Download PDF) Daily Updates ADVERTISE HERE
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ਦੋਹਰਾ ॥
दोहरा ॥
dhoharaa ||
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ਸੁਨਿ ਭੂਪਤਿ ਯਾ ਜਗਤ ਮੈ ਦੁਖੀ ਰਹਤ ਹਰਿ ਸੰਤ ॥
सुनि भूपति या जगत मै दुखी रहत हरि संत ॥
sun bhoopat yaa jagat mai dhukhee rahat har sa(n)t ||
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ਅੰਤਿ ਲਹਤ ਹੈ ਮੁਕਤਿ ਫਲ ਪਾਵਤ ਹੈ ਭਗਵੰਤ ॥੨੪੫੫॥
अंति लहत है मुकति फल पावत है भगवंत ॥२४५५॥
a(n)t lahat hai mukat fal paavat hai bhagava(n)t ||2455||
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ਸੋਰਠਾ ॥
सोरठा ॥
soraThaa ||
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ਰੁਦ੍ਰ ਭਗਤ ਜਗ ਮਾਹਿ ਸੁਖ ਕੇ ਦਿਵਸ ਸਦਾ ਭਰੈ ॥
रुद्र भगत जग माहि सुख के दिवस सदा भरै ॥
rudhr bhagat jag maeh sukh ke dhivas sadhaa bharai ||
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ਮਰੈ ਫਿਰਿ ਆਵਹਿ ਜਾਹਿ ਫਲੁ ਕਛੁ ਲਹੈ ਨ ਮੁਕਤਿ ਕੋ ॥੨੪੫੬॥
मरै फिरि आवहि जाहि फलु कछु लहै न मुकति को ॥२४५६॥
marai fir aaveh jaeh fal kachh lahai na mukat ko ||2456||
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ਸਵੈਯਾ ॥
सवैया ॥
savaiyaa ||
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ਸੁਨ ਲੈ ਭਸਮਾਗਦ ਦੈਤ ਹੁਤੋ ਤਿਹ ਨਾਰਦ ਤੇ ਜਬ ਹੀ ਸੁਨਿ ਪਾਯੋ ॥
सुन लै भसमागद दैत हुतो तिह नारद ते जब ही सुनि पायो ॥
sun lai bhasamaagadh dhait huto teh naaradh te jab hee sun paayo ||
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ਰੁਦ੍ਰ ਕੀ ਸੇਵ ਕਰੀ ਰੁਚਿ ਸੋ ਬਹੁਤੇ ਦਿਨ ਰੁਦ੍ਰਹਿ ਕੋ ਰਿਝਵਾਯੋ ॥
रुद्र की सेव करी रुचि सो बहुते दिन रुद्रहि को रिझवायो ॥
rudhr kee sev karee ruch so bahute dhin rudhreh ko rijhavaayo ||
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ਆਪਨੇ ਮਾਸਹਿ ਕਾਟਿ ਕੈ ਆਗ ਮੈ ਹੋਮ ਕਰਿਯੋ ਨ ਰਤੀ ਕੁ ਡਰਾਯੋ ॥
आपने मासहि काटि कै आग मै होम करियो न रती कु डरायो ॥
aapane maaseh kaaT kai aag mai hom kariyo na ratee k ddaraayo ||
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ਹਾਥ ਧਰੋ ਜਿਹ ਕੇ ਸਿਰ ਪੈ ਤਿਹ ਛਾਰ ਉਡੈ ਸੁ ਇਹੈ ਬਰੁ ਪਾਯੋ ॥੨੪੫੭॥
हाथ धरो जिह के सिर पै तिह छार उडै सु इहै बरु पायो ॥२४५७॥
haath dharo jeh ke sir pai teh chhaar uddai su ihai bar paayo ||2457||
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ਹਾਥ ਧਰੋ ਜਿਹ ਕੈ ਸਿਰ ਪੈ ਤਿਹ ਛਾਰ ਉਡੈ ਜਬ ਹੀ ਬਰੁ ਪਾਯੋ ॥
हाथ धरो जिह कै सिर पै तिह छार उडै जब ही बरु पायो ॥
haath dharo jeh kai sir pai teh chhaar uddai jab hee bar paayo ||
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ਰੁਦ੍ਰ ਹੀ ਕਉ ਪ੍ਰਥਮੈ ਹਤਿ ਕੈ ਜੜ ਚਾਹਤ ਤਿਉ ਤਿਹ ਤ੍ਰੀਅ ਛਿਨਾਯੋ ॥
रुद्र ही कउ प्रथमै हति कै जड़ चाहत तिउ तिह त्रीअ छिनायो ॥
rudhr hee kau prathamai hat kai jaR chaahat tiau teh treea chhinaayo ||
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ਰੁਦ੍ਰ ਭਜਿਯੋ ਤਬ ਆਏ ਹੈ ਸ੍ਯਾਮ ਜੂ ਆਇ ਕੈ ਸੋ ਛਲ ਸੋ ਜਰਵਾਯੋ ॥
रुद्र भजियो तब आए है स्याम जू आइ कै सो छल सो जरवायो ॥
rudhr bhajiyo tab aae hai sayaam joo aai kai so chhal so jaravaayo ||
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ਭੂਪ ਕਹੋ ਬਡੋ ਸੋ ਤੁਮ ਹੀ ਕਿ ਬਡੋ ਹਰ ਹੈ ਜਿਹ ਤਾਹਿ ਬਚਾਯੋ ॥੨੪੫੮॥
भूप कहो बडो सो तुम ही कि बडो हर है जिह ताहि बचायो ॥२४५८॥
bhoop kaho baddo so tum hee k baddo har hai jeh taeh bachaayo ||2458||
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ਇਤਿ ਸ੍ਰੀ ਬਚਿਤ੍ਰ ਨਾਟਕ ਗ੍ਰੰਥੇ ਕ੍ਰਿਸਨਾਵਤਾਰੇ ਭਸਮਾਗਦ ਦੈਤ ਬਧਹ ਧਿਆਇ ਸਮਾਪਤੰ ॥
इति स्री बचित्र नाटक ग्रंथे कृसनावतारे भसमागद दैत बधह धिआइ समापतं ॥
eit sree bachitr naaTak gra(n)the kirasanaavataare bhasamaagadh dhait badheh dhiaai samaapata(n) ||
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ਅਥ ਭ੍ਰਿਗਲਤਾ ਕੋ ਪ੍ਰਸੰਗ ਕਥਨੰ ॥
अथ भृगलता को प्रसंग कथनं ॥
ath bhiragalataa ko prasa(n)g kathana(n) ||
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ਸਵੈਯਾ ॥
सवैया ॥
savaiyaa ||
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ਬੈਠੇ ਹੁਤੇ ਰਿਖਿ ਸਾਤ ਤਹਾ ਇਕਠੇ ਤਿਨ ਕੇ ਜੀਅ ਮੈ ਅਸ ਆਯੋ ॥
बैठे हुते रिखि सात तहा इकठे तिन के जीअ मै अस आयो ॥
baiThe hute rikh saat tahaa ikaThe tin ke jeea mai as aayo ||
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ਰੁਦ੍ਰ ਭਲੋ ਬ੍ਰਹਮਾ ਕਿਧੋ ਬਿਸਨੁ ਜੂ ਪੈ ਪ੍ਰਿਥਮੈ ਜਿਹ ਕੋ ਠਹਰਾਯੋ ॥
रुद्र भलो ब्रहमा किधो बिसनु जू पै पृथमै जिह को ठहरायो ॥
rudhr bhalo brahamaa kidho bisan joo pai pirathamai jeh ko Thaharaayo ||
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ਤੀਨੋ ਅਨੰਤ ਹੈ ਅੰਤਿ ਕਛੂ ਨਹਿ ਹੈ ਇਨ ਕੋ ਕਿਨ ਹੂ ਨਹੀ ਪਾਯੋ ॥
तीनो अनंत है अंति कछू नहि है इन को किन हू नही पायो ॥
teeno ana(n)t hai a(n)t kachhoo neh hai in ko kin hoo nahee paayo ||
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ਭੇਦ ਲਹੋ ਇਨ ਕੋ ਤਿਨ ਮੈ ਭ੍ਰਿਗ ਬੈਠੋ ਹੁਤੋ ਸੋਊ ਦੇਖਨ ਧਾਯੋ ॥੨੪੫੯॥
भेद लहो इन को तिन मै भृग बैठो हुतो सोऊ देखन धायो ॥२४५९॥
bhedh laho in ko tin mai bhirag baiTho huto souoo dhekhan dhaayo ||2459||
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ਰੁਦ੍ਰ ਕੇ ਧਾਮ ਗਯੋ ਕਹਿਓ ਤੁਮ ਜੀਵ ਹਨੋ ਤਿਹ ਸੂਲ ਸੰਭਾਰਿਯੋ ॥
रुद्र के धाम गयो कहिओ तुम जीव हनो तिह सूल संभारियो ॥
rudhr ke dhaam gayo kahio tum jeev hano teh sool sa(n)bhaariyo ||
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ਗਯੋ ਚਤੁਰਾਨਨ ਕੇ ਚਲਿ ਕੈ ਇਹ ਬੇਦ ਰਰੈ ਇਹ ਜਾਨ ਨ ਪਾਰਿਯੋ ॥
गयो चतुरानन के चलि कै इह बेद ररै इह जान न पारियो ॥
gayo chaturaanan ke chal kai ieh bedh rarai ieh jaan na paariyo ||
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ਬਿਸਨ ਕੇ ਲੋਕ ਗਯੋ ਸੁਖ ਸੋਵਤ ਕੋਪ ਭਰਿਯੋ ਰਿਖਿ ਲਾਤਹਿ ਮਾਰਿਯੋ ॥
बिसन के लोक गयो सुख सोवत कोप भरियो रिखि लातहि मारियो ॥
bisan ke lok gayo sukh sovat kop bhariyo rikh laateh maariyo ||
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ਕੋਪ ਕੀਯੋ ਨ ਗਹੇ ਰਿਖਿ ਪਾ ਇਹ ਸ੍ਰੀਪਤਿ ਸ੍ਰੀ ਬ੍ਰਿਜਨਾਥ ਬਿਚਾਰਿਯੋ ॥੨੪੬੦॥
कोप कीयो न गहे रिखि पा इह स्रीपति स्री बृजनाथ बिचारियो ॥२४६०॥
kop keeyo na gahe rikh paa ieh sreepat sree birajanaath bichaariyo ||2460||
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ਬਿਸਨੁ ਜੂ ਬਾਚ ਭ੍ਰਿਗੁ ਸੋ ॥
बिसनु जू बाच भृगु सो ॥
bisan joo baach bhirag so ||
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ਸਵੈਯਾ ॥
सवैया ॥
savaiyaa ||
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ਪਾਇ ਕੋ ਘਾਇ ਰਹਿਓ ਸਹਿ ਕੈ ਹਸ ਕੈ ਦਿਜ ਸੋ ਇਹ ਭਾਤਿ ਉਚਾਰੋ ॥
पाइ को घाइ रहिओ सहि कै हस कै दिज सो इह भाति उचारो ॥
pai ko ghai rahio seh kai has kai dhij so ieh bhaat uchaaro ||
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ਬਜ੍ਰ ਸਮਾਨ ਹ੍ਰਿਦੈ ਹਮਰੋ ਲਗਿ ਪਾਇ ਦੁਖਿਓ ਹ੍ਵੈ ਹੈ ਤੁਹਿ ਮਾਰੋ ॥
बज्र समान हृदै हमरो लगि पाइ दुखिओ ह्वै है तुहि मारो ॥
bajr samaan hiradhai hamaro lag pai dhukhio havai hai tuh maaro ||
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ਮਾਗਤਿ ਹਉ ਇਕ ਜੋ ਤੁਮ ਦੇਹੁ ਜੁ ਪੈ ਛਿਮ ਕੈ ਅਪਰਾਧ ਹਮਾਰੋ ॥
मागति हउ इक जो तुम देहु जु पै छिम कै अपराध हमारो ॥
maagat hau ik jo tum dhehu ju pai chhim kai aparaadh hamaaro ||
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ਜੇਤਕ ਰੂਪ ਧਰੋ ਜਗ ਹਉ ਤੁ ਸਦਾ ਰਹੈ ਪਾਇ ਕੋ ਚਿਹਨ ਤੁਹਾਰੋ ॥੨੪੬੧॥
जेतक रूप धरो जग हउ तु सदा रहै पाइ को चिहन तुहारो ॥२४६१॥
jetak roop dharo jag hau ta sadhaa rahai pai ko chihan tuhaaro ||2461||
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ਇਉ ਜਬ ਬੈਨ ਕਹੇ ਬ੍ਰਿਜ ਨਾਇਕ ਤਉ ਰਿਖਿ ਚਿਤ ਬਿਖੈ ਸੁਖੁ ਪਾਯੋ ॥
इउ जब बैन कहे बृज नाइक तउ रिखि चित बिखै सुखु पायो ॥
eiau jab bain kahe biraj naik tau rikh chit bikhai sukh paayo ||
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ਕੈ ਕੈ ਪ੍ਰਨਾਮ ਘਨੇ ਪ੍ਰਭ ਕਉ ਪੁਨਿ ਆਪਨੇ ਆਸ੍ਰਮ ਮੈ ਫਿਰਿ ਆਯੋ ॥
कै कै प्रनाम घने प्रभ कउ पुनि आपने आस्रम मै फिरि आयो ॥
kai kai pranaam ghane prabh kau pun aapane aasram mai fir aayo ||
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ਰੁਦ੍ਰ ਕੋ ਬ੍ਰਹਮ ਕੋ ਬਿਸਨੁ ਕਥਾਨ ਕੋ ਭੇਦ ਸਭੈ ਇਨ ਕੋ ਸਮਝਾਯੋ ॥
रुद्र को ब्रहम को बिसनु कथान को भेद सभै इन को समझायो ॥
rudhr ko braham ko bisan kathaan ko bhedh sabhai in ko samajhaayo ||
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ਸ੍ਯਾਮ ਕੋ ਜਾਪ ਜਪੈ ਸਭ ਹੀ ਹਮ ਸ੍ਰੀ ਬ੍ਰਿਜਨਾਥ ਸਹੀ ਪ੍ਰਭ ਪਾਯੋ ॥੨੪੬੨॥
स्याम को जाप जपै सभ ही हम स्री बृजनाथ सही प्रभ पायो ॥२४६२॥
sayaam ko jaap japai sabh hee ham sree birajanaath sahee prabh paayo ||2462||
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ਜਾਪ ਕੀਯੋ ਸਭ ਹੀ ਹਰਿ ਕੋ ਜਬ ਯੋ ਭ੍ਰਿਗੁ ਆਇ ਕੈ ਬਾਤ ਸੁਨਾਈ ॥
जाप कीयो सभ ही हरि को जब यो भृगु आइ कै बात सुनाई ॥
jaap keeyo sabh hee har ko jab yo bhirag aai kai baat sunaiee ||
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ਹੈ ਰੇ ਅਨੰਤ ਕਹਿਓ ਕਰੁਨਾਨਿਧਿ ਬੇਦ ਸਕੈ ਨਹੀ ਜਾਹਿ ਬਤਾਈ ॥
है रे अनंत कहिओ करुनानिधि बेद सकै नही जाहि बताई ॥
hai re ana(n)t kahio karunaanidh bedh sakai nahee jaeh bataiee ||
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ਕ੍ਰੋਧੀ ਹੈ ਰੁਦ੍ਰ ਗਰੇ ਰੁੰਡ ਮਾਲ ਕਉ ਡਾਰਿ ਕੈ ਬੈਠੋ ਹੈ ਡਿੰਭ ਜਨਾਈ ॥
क्रोधी है रुद्र गरे रुँड माल कउ डारि कै बैठो है डिंभ जनाई ॥
krodhee hai rudhr gare ru(n)dd maal kau ddaar kai baiTho hai ddi(n)bh janaiee ||
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ਤਾਹਿ ਜਪੋ ਨ ਜਪੋ ਹਰਿ ਕੋ ਪ੍ਰਭ ਸ੍ਰੀ ਬ੍ਰਿਜਨਾਥ ਸਹੀ ਠਹਰਾਈ ॥੨੪੬੩॥
ताहि जपो न जपो हरि को प्रभ स्री बृजनाथ सही ठहराई ॥२४६३॥
taeh japo na japo har ko prabh sree birajanaath sahee Thaharaiee ||2463||
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ਜਾਪ ਜਪਿਯੋ ਸਭ ਹੂ ਹਰਿ ਕੋ ਜਬ ਯੌ ਭ੍ਰਿਗੁ ਆਨਿ ਰਿਖੋ ਸਮਝਾਯੋ ॥
जाप जपियो सभ हू हरि को जब यौ भृगु आनि रिखो समझायो ॥
jaap japiyo sabh hoo har ko jab yau bhirag aan rikho samajhaayo ||
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ਜਿਉ ਜਗ ਭੂਤ ਪਿਸਾਚਨ ਮਾਨਤ ਤੈਸੋ ਈ ਲੈ ਇਕ ਰੁਦ੍ਰ ਬਨਾਯੋ ॥
जिउ जग भूत पिसाचन मानत तैसो ई लै इक रुद्र बनायो ॥
jiau jag bhoot pisaachan maanat taiso iee lai ik rudhr banaayo ||
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ਕੋ ਬ੍ਰਹਮਾ ਕਰਿ ਮਾਲਾ ਲੀਏ ਜਪੁ ਤਾ ਕੋ ਕਰੈ ਤਿਹ ਕੋ ਨਹੀ ਪਾਯੋ ॥
को ब्रहमा करि माला लीए जपु ता को करै तिह को नही पायो ॥
ko brahamaa kar maalaa le'ee jap taa ko karai teh ko nahee paayo ||
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ਸ੍ਰੀ ਬ੍ਰਿਜਨਾਥ ਕੋ ਧਿਆਨ ਧਰੋ ਸੁ ਧਰਿਓ ਤਿਨ ਅਉਰ ਸਭੈ ਬਿਸਰਾਯੋ ॥੨੪੬੪॥
स्री बृजनाथ को धिआन धरो सु धरिओ तिन अउर सभै बिसरायो ॥२४६४॥
sree birajanaath ko dhiaan dharo su dhario tin aaur sabhai bisaraayo ||2464||
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ਇਤਿ ਸ੍ਰੀ ਦਸਮ ਸਿਕੰਧ ਪੁਰਾਣੇ ਬਚਿਤ੍ਰ ਨਾਟਕ ਗ੍ਰੰਥੇ ਕ੍ਰਿਸਨਾਵਤਾਰੇ ਭ੍ਰਿਗੁਲਤਾ ਪ੍ਰਸੰਗ ਬਰਨਨੰ ਨਾਮ ਧਿਆਇ ਸਮਾਪਤਮ ॥
इति स्री दसम सिकंध पुराणे बचित्र नाटक ग्रंथे कृसनावतारे भृगुलता प्रसंग बरननं नाम धिआइ समापतम ॥
eit sree dhasam sika(n)dh puraane bachitr naaTak gra(n)the kirasanaavataare bhiragulataa prasa(n)g baranana(n) naam dhiaai samaapatam ||
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ਅਥ ਪਾਰਥ ਦਿਜ ਕੇ ਨਮਿਤ ਚਿਖਾ ਸਾਜ ਆਪ ਜਲਨ ਲਗਾ ॥
अथ पारथ दिज के नमित चिखा साज आप जलन लगा ॥
ath paarath dhij ke namit chikhaa saaj aap jalan lagaa ||
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ਚੌਪਈ ॥
चौपई ॥
chauapiee ||
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ਇਕ ਦਿਜ ਹੁਤੋ ਸੁ ਹਰਿ ਘਰਿ ਆਯੋ ॥
इक दिज हुतो सु हरि घरि आयो ॥
eik dhij huto su har ghar aayo ||
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ਚਿਤ ਬਿਤ ਤੇ ਅਤਿ ਸੋਕ ਜਨਾਯੋ ॥
चित बित ते अति सोक जनायो ॥
chit bit te at sok janaayo ||
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ਮੇਰੇ ਸੁਤ ਸਭ ਹੀ ਜਮ ਮਾਰੇ ॥
मेरे सुत सभ ही जम मारे ॥
mere sut sabh hee jam maare ||
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ਪ੍ਰਭ ਜੂ ਯਾ ਜਗ ਜੀਯਤ ਤੁਹਾਰੇ ॥੨੪੬੫॥
प्रभ जू या जग जीयत तुहारे ॥२४६५॥
prabh joo yaa jag jeeyat tuhaare ||2465||
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ਸਵੈਯਾ ॥
सवैया ॥
savaiyaa ||
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ਦੇਖਿ ਬ੍ਰਿਲਾਪ ਤਬੈ ਦਿਜ ਪਾਰਥ ਤਉਨ ਸਮੈ ਅਤਿ ਓਜ ਜਨਾਯੋ ॥
देखि बृलाप तबै दिज पारथ तउन समै अति ओज जनायो ॥
dhekh biralaap tabai dhij paarath taun samai at oj janaayo ||
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ਰਾਖਿ ਹੋ ਹਉ ਨਹਿ ਰਾਖੇ ਗਏ ਤਬ ਲਜਤ ਹ੍ਵੈ ਜਰਬੋ ਜੀਅ ਆਯੋ ॥
राखि हो हउ नहि राखे गए तब लजत ह्वै जरबो जीअ आयो ॥
raakh ho hau neh raakhe ge tab lajat havai jarabo jeea aayo ||
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ਸ੍ਰੀ ਬ੍ਰਿਜਨਾਥ ਤਬੈ ਤਿਹ ਪੈ ਚਲਿ ਆਵਤ ਭਯੋ ਹਠ ਤੇ ਸਮਝਾਯੋ ॥
स्री बृजनाथ तबै तिह पै चलि आवत भयो हठ ते समझायो ॥
sree birajanaath tabai teh pai chal aavat bhayo haTh te samajhaayo ||
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ਤਾਹੀ ਕਉ ਲੈ ਸੰਗਿ ਆਪਿ ਅਰੂੜਤ ਹ੍ਵੈ ਰਥ ਪੈ ਤਿਨ ਓਰਿ ਸਿਧਾਯੋ ॥੨੪੬੬॥
ताही कउ लै संगि आपि अरूड़त ह्वै रथ पै तिन ओरि सिधायो ॥२४६६॥
taahee kau lai sa(n)g aap arooRat havai rath pai tin or sidhaayo ||2466||
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ਗਯੋ ਹਰਿ ਜੀ ਚਲ ਕੈ ਤਿਹ ਠਾ ਅੰਧਿਆਰ ਘਨੋ ਜਿਹ ਦ੍ਰਿਸਟਿ ਨ ਆਵੈ ॥
गयो हरि जी चल कै तिह ठा अंधिआर घनो जिह दृसटि न आवै ॥
gayo har jee chal kai teh Thaa a(n)dhiaar ghano jeh dhirasaT na aavai ||
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ਦ੍ਵਾਦਸ ਸੂਰ ਚੜੈ ਤਿਹ ਠਾ ਤੁ ਸਭੈ ਤਿਨ ਕੀ ਗਤਿ ਹ੍ਵੈ ਤਮ ਜਾਵੈ ॥
द्वादस सूर चड़ै तिह ठा तु सभै तिन की गति ह्वै तम जावै ॥
dhavaiaadhas soor chaRai teh Thaa ta sabhai tin kee gat havai tam jaavai ||
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ਪਾਰਥ ਤਾਹੀ ਚੜਿਯੋ ਰਥ ਪੈ ਡਰਪਾਤਿ ਭਯੋ ਪ੍ਰਭ ਯੌ ਸਮਝਾਵੈ ॥
पारथ ताही चड़ियो रथ पै डरपाति भयो प्रभ यौ समझावै ॥
paarath taahee chaRiyo rath pai ddarapaat bhayo prabh yau samajhaavai ||
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ਚਿੰਤ ਕਰੋ ਨ ਸੁਦਰਸਨਿ ਚਕ੍ਰ ਦਿਪੈ ਜਦ ਹੀ ਹਰਿ ਮਾਰਗੁ ਪਾਵੈ ॥੨੪੬੭॥
चिंत करो न सुदरसनि चक्र दिपै जद ही हरि मारगु पावै ॥२४६७॥
chi(n)t karo na sudharasan chakr dhipai jadh hee har maarag paavai ||2467||
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ਚੌਪਈ ॥
चौपई ॥
chauapiee ||
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ਜਹਾ ਸੇਖਸਾਈ ਥੋ ਸੋਯੋ ॥
जहा सेखसाई थो सोयो ॥
jahaa sekhasaiee tho soyo ||
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ਅਹਿ ਆਸਨ ਪਰ ਸਭ ਦੁਖੁ ਖੋਯੋ ॥
अहि आसन पर सभ दुखु खोयो ॥
eh aasan par sabh dhukh khoyo ||
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ਜਗਯੋ ਸ੍ਯਾਮ ਜਬ ਹੀ ਦਰਸਾਯੋ ॥
जगयो स्याम जब ही दरसायो ॥
jagayo sayaam jab hee dharasaayo ||
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ਅਪਨੇ ਮਨ ਅਤਿ ਹੀ ਸੁਖੁ ਪਾਯੋ ॥੨੪੬੮॥
अपने मन अति ही सुखु पायो ॥२४६८॥
apane man at hee sukh paayo ||2468||
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ਕਿਹ ਕਾਰਨ ਇਹ ਠਾ ਹਰਿ ਆਏ ॥
किह कारन इह ठा हरि आए ॥
keh kaaran ieh Thaa har aae ||
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ਹਮ ਜਾਨਤ ਹਮ ਅਬ ਸੁਖ ਪਾਏ ॥
हम जानत हम अब सुख पाए ॥
ham jaanat ham ab sukh paae ||
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ਜਾਨਤ ਦਿਜ ਬਾਲਕ ਅਬ ਲੀਜੈ ॥
जानत दिज बालक अब लीजै ॥
jaanat dhij baalak ab leejai ||
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ਏਕ ਘਰੀ ਇਹ ਠਾ ਸੁਖ ਦੀਜੈ ॥੨੪੬੯॥
एक घरी इह ठा सुख दीजै ॥२४६९॥
ek gharee ieh Thaa sukh dheejai ||2469||
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ਚੌਪਈ ॥
चौपई ॥
chauapiee ||
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ਜਬਿ ਹਰਿ ਕਰਿ ਦਿਜ ਬਾਲਕ ਆਏ ॥
जबि हरि करि दिज बालक आए ॥
jab har kar dhij baalak aae ||
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ਤਬ ਤਿਹ ਕਉ ਏ ਬਚਨ ਸੁਨਾਏ ॥
तब तिह कउ ए बचन सुनाए ॥
tab teh kau e bachan sunaae ||
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ਜਾਤ ਜਾਇ ਦਿਜ ਬਾਲਕ ਦੈ ਹੋ ॥
जात जाइ दिज बालक दै हो ॥
jaat jai dhij baalak dhai ho ||
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ਬਡੋ ਸੁ ਜਸੁ ਜਗ ਭੀਤਰ ਲੈ ਹੋ ॥੨੪੭੦॥
बडो सु जसु जग भीतर लै हो ॥२४७०॥
baddo su jas jag bheetar lai ho ||2470||
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ਤਬ ਹਰਿ ਨਗਰ ਦੁਆਰਿਕਾ ਆਯੋ ॥
तब हरि नगर दुआरिका आयो ॥
tab har nagar dhuaarikaa aayo ||
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ਦਿਜ ਬਾਲਕ ਦੈ ਅਤਿ ਸੁਖ ਪਾਯੋ ॥
दिज बालक दै अति सुख पायो ॥
dhij baalak dhai at sukh paayo ||
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ਜਰਤ ਅਗਨਿ ਤੇ ਸੰਤ ਬਚਾਏ ॥
जरत अगनि ते संत बचाए ॥
jarat agan te sa(n)t bachaae ||
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ਇਉ ਪ੍ਰਭ ਜੂ ਸਭ ਸੰਤਨ ਗਾਏ ॥੨੪੭੧॥
इउ प्रभ जू सभ संतन गाए ॥२४७१॥
eiau prabh joo sabh sa(n)tan gaae ||2471||
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ਇਤਿ ਸ੍ਰੀ ਬਚਿਤ੍ਰ ਨਾਟਕ ਗ੍ਰੰਥੇ ਕ੍ਰਿਸਨਾਵਤਾਰੇ ਦਿਜ ਕੋ ਜਮਲੋਕ ਤੇ ਸਾਤ ਪੁਤ੍ਰ ਲਯਾਇ ਦੇਤ ਭਏ ਧਯਾਇ ਸਮਾਪਤੰ ॥
इति स्री बचित्र नाटक ग्रंथे कृसनावतारे दिज को जमलोक ते सात पुत्र लयाइ देत भए धयाइ समापतं ॥
eit sree bachitr naaTak gra(n)the kirasanaavataare dhij ko jamalok te saat putr layai dhet bhe dhayai samaapata(n) ||
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ਅਥ ਕਾਨ੍ਰਹ ਜੂ ਜਲ ਬਿਹਾਰ ਤ੍ਰੀਅਨ ਸੰਗ ॥
अथ कान्रह जू जल बिहार त्रीअन संग ॥
ath kaanreh joo jal bihaar treean sa(n)g ||
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ਸਵੈਯਾ ॥
सवैया ॥
savaiyaa ||
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ਕੰਚਨ ਕੀ ਜਹਿ ਦੁਆਰਵਤੀ ਤਿਹ ਠਾ ਜਬ ਹੀ ਬ੍ਰਿਜਭੂਖਨ ਆਯੋ ॥
कंचन की जहि दुआरवती तिह ठा जब ही बृजभूखन आयो ॥
ka(n)chan kee jeh dhuaaravatee teh Thaa jab hee birajabhookhan aayo ||
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ਲਾਲ ਲਗੇ ਜਿਹ ਠਾ ਮਨੋ ਬਜ੍ਰ ਭਲੇ ਬ੍ਰਿਜ ਨਾਇਕ ਬ੍ਯੋਤ ਬਨਾਯੋ ॥
लाल लगे जिह ठा मनो बज्र भले बृज नाइक ब्योत बनायो ॥
laal lage jeh Thaa mano bajr bhale biraj naik bayot banaayo ||
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ਤਾਲ ਕੇ ਬੀਚ ਤਰੈ ਜਦੁ ਨੰਦਨ ਸੋਕ ਸਬੈ ਚਿਤ ਕੋ ਬਿਸਰਾਯੋ ॥
ताल के बीच तरै जदु नंदन सोक सबै चित को बिसरायो ॥
taal ke beech tarai jadh na(n)dhan sok sabai chit ko bisaraayo ||
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ਲੈ ਤ੍ਰੀਯਾ ਬਾਲਕ ਦੈ ਦਿਜ ਕਉ ਜਬ ਸ੍ਰੀ ਬ੍ਰਿਜਨਾਥ ਬਡੋ ਜਸੁ ਪਾਯੋ ॥੨੪੭੨॥
लै त्रीया बालक दै दिज कउ जब स्री बृजनाथ बडो जसु पायो ॥२४७२॥
lai treeyaa baalak dhai dhij kau jab sree birajanaath baddo jas paayo ||2472||
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ਤ੍ਰੀਅਨ ਸੈ ਜਲ ਮੈ ਬ੍ਰਿਜ ਨਾਇਕ ਸ੍ਯਾਮ ਭਨੈ ਰੁਚਿ ਸਿਉ ਲਪਟਾਏ ॥
त्रीअन सै जल मै बृज नाइक स्याम भनै रुचि सिउ लपटाए ॥
treean sai jal mai biraj naik sayaam bhanai ruch siau lapaTaae ||
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ਪ੍ਰੇਮ ਬਢਿਯੋ ਉਨ ਕੇ ਅਤਿ ਹੀ ਪ੍ਰਭ ਕੇ ਲਗੀ ਅੰਗਿ ਅਨੰਗ ਬਢਾਏ ॥
प्रेम बढियो उन के अति ही प्रभ के लगी अंगि अनंग बढाए ॥
prem baddiyo un ke at hee prabh ke lagee a(n)g ana(n)g baddaae ||
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ਪ੍ਰੇਮ ਸੋ ਏਕ ਹੀ ਹੁਇ ਗਈ ਸੁੰਦਰਿ ਰੂਪ ਨਿਹਾਰਿ ਰਹੀ ਉਰਝਾਏ ॥
प्रेम सो एक ही हुइ गई सुँदरि रूप निहारि रही उरझाए ॥
prem so ek hee hui giee su(n)dhar roop nihaar rahee urajhaae ||
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ਪਾਸ ਹੀ ਸ੍ਯਾਮ ਜੂ ਰੂਪ ਰਚੀ ਤ੍ਰੀਆ ਹੇਰਿ ਰਹੀ ਹਰਿ ਹਾਥਿ ਨ ਆਏ ॥੨੪੭੩॥
पास ही स्याम जू रूप रची त्रीआ हेरि रही हरि हाथि न आए ॥२४७३॥
paas hee sayaam joo roop rachee treeaa her rahee har haath na aae ||2473||
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ਰੂਪ ਰਚੀ ਸਭ ਸੁੰਦਰਿ ਸ੍ਯਾਮ ਕੇ ਸ੍ਯਾਮ ਭਨੈ ਦਸ ਹੂ ਦਿਸ ਦਉਰੈ ॥
रूप रची सभ सुँदरि स्याम के स्याम भनै दस हू दिस दउरै ॥
roop rachee sabh su(n)dhar sayaam ke sayaam bhanai dhas hoo dhis dhaurai ||
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ਕੁੰਕਮ ਬੇਦੁ ਲਿਲਾਟ ਦੀਏ ਸੁ ਦੀਏ ਤਿਨ ਊਪਰ ਚੰਦਨ ਖਉਰੈ ॥
कुँकम बेदु लिलाट दीए सु दीए तिन ऊपर चंदन खउरै ॥
ku(n)kam bedh lilaaT dhe'ee su dhe'ee tin uoopar cha(n)dhan khaurai ||
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ਮੈਨ ਕੇ ਬਸਿ ਭਈ ਸਭ ਭਾਮਿਨ ਧਾਈ ਫਿਰੈ ਫੁਨਿ ਧਾਮਨ ਅਉਰੈ ॥
मैन के बसि भई सभ भामिन धाई फिरै फुनि धामन अउरै ॥
main ke bas bhiee sabh bhaamin dhaiee firai fun dhaaman aaurai ||
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ਐਸੇ ਰਟੈ ਮੁਖ ਤੇ ਹਮ ਕਉ ਤਜਿ ਹੋ ਬ੍ਰਿਜਨਾਥ ਗਯੋ ਕਿਹ ਠਉਰੈ ॥੨੪੭੪॥
ऐसे रटै मुख ते हम कउ तजि हो बृजनाथ गयो किह ठउरै ॥२४७४॥
aaise raTai mukh te ham kau taj ho birajanaath gayo keh Thaurai ||2474||
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ਢੂੰਢਤ ਏਕ ਫਿਰੈ ਹਰਿ ਸੁੰਦਰਿ ਚਿਤ ਬਿਖੈ ਸਭ ਭਰਮ ਬਢਾਈ ॥
ढूँढत एक फिरै हरि सुँदरि चित बिखै सभ भरम बढाई ॥
ddoo(n)ddat ek firai har su(n)dhar chit bikhai sabh bharam baddaiee ||
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ਬੇਖ ਅਨੂਪ ਸਜੇ ਤਨ ਪੈ ਤਿਨ ਬੇਖਨ ਕੋ ਬਰਨਿਓ ਨਹੀ ਜਾਈ ॥
बेख अनूप सजे तन पै तिन बेखन को बरनिओ नही जाई ॥
bekh anoop saje tan pai tin bekhan ko baranio nahee jaiee ||
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ਸੰਕ ਕਰੈ ਨ ਰਰੈ ਹਰਿ ਹੀ ਹਰਿ ਲਾਜਹਿ ਬੇਚਿ ਮਨੋ ਤਿਨ ਖਾਈ ॥
संक करै न ररै हरि ही हरि लाजहि बेचि मनो तिन खाई ॥
sa(n)k karai na rarai har hee har laajeh bech mano tin khaiee ||
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ਐਸੇ ਕਹੈ ਤਜਿ ਗਯੋ ਕਿਹ ਠਾ ਤਿਹ ਹੋ ਬ੍ਰਿਜ ਨਾਇਕ ਦੇਹੁ ਦਿਖਾਈ ॥੨੪੭੫॥
ऐसे कहै तजि गयो किह ठा तिह हो बृज नाइक देहु दिखाई ॥२४७५॥
aaise kahai taj gayo keh Thaa teh ho biraj naik dheh dhikhaiee ||2475||
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ਦੋਹਰਾ ॥
दोहरा ॥
dhoharaa ||
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ਬਹੁਤੁ ਕਾਲ ਮੁਛਿਤ ਭਈ ਖੇਲਤ ਹਰਿ ਕੇ ਸਾਥ ॥
बहुतु काल मुछित भई खेलत हरि के साथ ॥
bahut kaal muchhit bhiee khelat har ke saath ||
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ਮੁਛਿਤ ਹ੍ਵੈ ਤਿਨ ਯੌ ਲਖਿਯੋ ਹਰਿ ਆਏ ਅਬ ਹਾਥਿ ॥੨੪੭੬॥
मुछित ह्वै तिन यौ लखियो हरि आए अब हाथि ॥२४७६॥
muchhit havai tin yau lakhiyo har aae ab haath ||2476||
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ਹਰਿ ਜਨ ਹਰਿ ਸੰਗ ਮਿਲਤ ਹੈ ਸੁਨਤ ਪ੍ਰੇਮ ਕੀ ਗਾਥ ॥
हरि जन हरि संग मिलत है सुनत प्रेम की गाथ ॥
har jan har sa(n)g milat hai sunat prem kee gaath ||
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ਜਿਉ ਡਾਰਿਓ ਮਿਲਿ ਜਾਤ ਹੈ ਨੀਰ ਨੀਰ ਕੇ ਸਾਥ ॥੨੪੭੭॥
जिउ डारिओ मिलि जात है नीर नीर के साथ ॥२४७७॥
jiau ddaario mil jaat hai neer neer ke saath ||2477||
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ਚੌਪਈ ॥
चौपई ॥
chauapiee ||
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ਜਲ ਤੇ ਤਬ ਹਰਿ ਬਾਹਰਿ ਆਏ ॥
जल ते तब हरि बाहरि आए ॥
jal te tab har baahar aae ||
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ਅੰਗਹਿ ਸੁੰਦਰ ਬਸਤ੍ਰ ਬਨਾਏ ॥
अंगहि सुँदर बसत्र बनाए ॥
a(n)geh su(n)dhar basatr banaae ||
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ਕਾ ਉਪਮਾ ਤਿਹ ਕੀ ਕਬਿ ਕਹੈ ॥
का उपमा तिह की कबि कहै ॥
kaa upamaa teh kee kab kahai ||
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ਪੇਖਤ ਮੈਨ ਰੀਝ ਕੈ ਰਹੈ ॥੨੪੭੮॥
पेखत मैन रीझ कै रहै ॥२४७८॥
pekhat main reejh kai rahai ||2478||
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ਬਸਤ੍ਰ ਤ੍ਰੀਅਨ ਹੂ ਸੁੰਦਰ ਧਰੇ ॥
बसत्र त्रीअन हू सुँदर धरे ॥
basatr treean hoo su(n)dhar dhare ||
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ਦਾਨ ਬਹੁਤ ਬਿਪ੍ਰਨ ਕਉ ਕਰੇ ॥
दान बहुत बिप्रन कउ करे ॥
dhaan bahut bipran kau kare ||
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ਜਿਹ ਤਿਹ ਠਾ ਹਰਿ ਕੋ ਗੁਨ ਗਾਯੋ ॥
जिह तिह ठा हरि को गुन गायो ॥
jeh teh Thaa har ko gun gaayo ||
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ਤਿਹ ਦਾਰਿਦ ਧਨ ਦੇਇ ਗਵਾਯੋ ॥੨੪੭੯॥
तिह दारिद धन देइ गवायो ॥२४७९॥
teh dhaaridh dhan dhei gavaayo ||2479||
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ਅਥ ਪ੍ਰੇਮ ਕਥਾ ਕਥਨੰ ॥
अथ प्रेम कथा कथनं ॥
ath prem kathaa kathana(n) ||
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ਕਬਿਯੋ ਬਾਚ ॥
कबियो बाच ॥
kabiyo baach ||
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ਚੌਪਈ ॥
चौपई ॥
chauapiee ||
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ਹਰਿ ਕੇ ਸੰਤ ਕਬਢੀ ਸੁਨਾਊ ॥
हरि के संत कबढी सुनाऊ ॥
har ke sa(n)t kabaddee sunaauoo ||
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ਤਾ ਤੇ ਪ੍ਰਭ ਲੋਗਨ ਰਿਝਵਾਊ ॥
ता ते प्रभ लोगन रिझवाऊ ॥
taa te prabh logan rijhavaauoo ||
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ਜੋ ਇਹ ਕਥਾ ਤਨਕ ਸੁਨਿ ਪਾਵੈ ॥
जो इह कथा तनक सुनि पावै ॥
jo ieh kathaa tanak sun paavai ||
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ਤਾ ਕੋ ਦੋਖ ਦੂਰ ਹੋਇ ਜਾਵੈ ॥੨੪੮੦॥
ता को दोख दूर होइ जावै ॥२४८०॥
taa ko dhokh dhoor hoi jaavai ||2480||
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ਸਵੈਯਾ ॥
सवैया ॥
savaiyaa ||
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ਜੈਸੇ ਤ੍ਰਿਨਾਵ੍ਰਤ ਅਉ ਅਘ ਕੋ ਸੁ ਬਕਾਸੁਰ ਕੋ ਬਧ ਜਾ ਮੁਖ ਫਾਰਿਓ ॥
जैसे तृनाव्रत अउ अघ को सु बकासुर को बध जा मुख फारिओ ॥
jaise tiranaavrat aau agh ko su bakaasur ko badh jaa mukh faario ||
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ਖੰਡ ਕੀਓ ਸਕਟਾਸੁਰ ਕੋ ਗਹਿ ਕੇਸਨ ਤੇ ਜਿਹ ਕੰਸ ਪਛਾਰਿਓ ॥
खंड कीओ सकटासुर को गहि केसन ते जिह कंस पछारिओ ॥
kha(n)dd keeo sakaTaasur ko geh kesan te jeh ka(n)s pachhaario ||
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ਸੰਧਿ ਜਰਾ ਹੂ ਕੋ ਸੈਨ ਮਥਿਓ ਅਰੁ ਸਤ੍ਰਨ ਕੋ ਜਿਹ ਮਾਨਹਿ ਟਾਰਿਓ ॥
संधि जरा हू को सैन मथिओ अरु सत्रन को जिह मानहि टारिओ ॥
sa(n)dh jaraa hoo ko sain mathio ar satran ko jeh maaneh Taario ||
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ਤਿਉ ਬ੍ਰਿਜ ਨਾਇਕ ਸਾਧਨ ਕੇ ਪੁਨਿ ਚਾਹਤ ਹੈ ਸਭ ਪਾਪਨ ਟਾਰਿਓ ॥੨੪੮੧॥
तिउ बृज नाइक साधन के पुनि चाहत है सभ पापन टारिओ ॥२४८१॥
tiau biraj naik saadhan ke pun chaahat hai sabh paapan Taario ||2481||
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ਜੋ ਬ੍ਰਿਜ ਨਾਇਕ ਕੇ ਰੁਚ ਸੋ ਕਬਿ ਸ੍ਯਾਮ ਭਨੈ ਫੁਨਿ ਗੀਤਨ ਗੈ ਹੈ ॥
जो बृज नाइक के रुच सो कबि स्याम भनै फुनि गीतन गै है ॥
jo biraj naik ke ruch so kab sayaam bhanai fun geetan gai hai ||
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ਚਾਤੁਰਤਾ ਸੰਗ ਜੋ ਹਰਿ ਕੋ ਜਸੁ ਬੀਚ ਕਬਿਤਨ ਕੇ ਸੁ ਬਨੈ ਹੈ ॥
चातुरता संग जो हरि को जसु बीच कबितन के सु बनै है ॥
chaaturataa sa(n)g jo har ko jas beech kabitan ke su banai hai ||
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ਅਉਰਨ ਤੇ ਸੁਨਿ ਜੋ ਚਰਚਾ ਹਰਿ ਕੀ ਹਰਿ ਕੋ ਮਨ ਭੀਤਰ ਦੈ ਹੈ ॥
अउरन ते सुनि जो चरचा हरि की हरि को मन भीतर दै है ॥
aauran te sun jo charachaa har kee har ko man bheetar dhai hai ||
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ਸੋ ਕਬਿ ਸ੍ਯਾਮ ਭਨੈ ਧਰਿ ਕੈ ਤਨ ਯਾ ਭਵ ਭੀਤਰ ਫੇਰਿ ਨ ਐ ਹੈ ॥੨੪੮੨॥
सो कबि स्याम भनै धरि कै तन या भव भीतर फेरि न ऐ है ॥२४८२॥
so kab sayaam bhanai dhar kai tan yaa bhav bheetar fer na aai hai ||2482||
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ਜੋ ਉਪਮਾ ਬ੍ਰਿਜਨਾਥ ਕੀ ਗਾਇ ਹੈ ਅਉਰ ਕਬਿਤਨ ਬੀਚ ਕਰੈਗੇ ॥
जो उपमा बृजनाथ की गाइ है अउर कबितन बीच करैगे ॥
jo upamaa birajanaath kee gai hai aaur kabitan beech karaige ||
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ਪਾਪਨ ਕੀ ਤੇਊ ਪਾਵਕ ਮੈ ਕਬਿ ਸ੍ਯਾਮ ਭਨੈ ਕਬਹੂੰ ਨ ਜਰੈਗੇ ॥
पापन की तेऊ पावक मै कबि स्याम भनै कबहूँ न जरैगे ॥
paapan kee teuoo paavak mai kab sayaam bhanai kabahoo(n) na jaraige ||
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ਚਿੰਤ ਸਭੈ ਮਿਟ ਹੈ ਜੁ ਰਹੀ ਛਿਨ ਮੈ ਤਿਨ ਕੇ ਅਘ ਬ੍ਰਿੰਦ ਟਰੈਗੇ ॥
चिंत सभै मिट है जु रही छिन मै तिन के अघ बृंद टरैगे ॥
chi(n)t sabhai miT hai ju rahee chhin mai tin ke agh bira(n)dh Taraige ||
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ਜੇ ਨਰ ਸ੍ਯਾਮ ਜੂ ਕੇ ਪਰਸੇ ਪਗ ਤੇ ਨਰ ਫੇਰਿ ਨ ਦੇਹ ਧਰੈਗੇ ॥੨੪੮੩॥
जे नर स्याम जू के परसे पग ते नर फेरि न देह धरैगे ॥२४८३॥
je nar sayaam joo ke parase pag te nar fer na dheh dharaige ||2483||
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ਜੋ ਬ੍ਰਿਜ ਨਾਇਕ ਕੋ ਰੁਚਿ ਸੋ ਕਬਿ ਸ੍ਯਾਮ ਭਨੈ ਫੁਨਿ ਜਾਪੁ ਜਪੈ ਹੈ ॥
जो बृज नाइक को रुचि सो कबि स्याम भनै फुनि जापु जपै है ॥
jo biraj naik ko ruch so kab sayaam bhanai fun jaap japai hai ||
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ਜੋ ਤਿਹ ਕੇ ਹਿਤ ਕੈ ਮਨ ਮੈ ਬਹੁ ਮੰਗਨ ਲੋਗਨ ਕਉ ਧਨ ਦੈ ਹੈ ॥
जो तिह के हित कै मन मै बहु मंगन लोगन कउ धन दै है ॥
jo teh ke hit kai man mai bahu ma(n)gan logan kau dhan dhai hai ||
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ਜੋ ਤਜਿ ਕਾਜ ਸਭੈ ਘਰ ਕੇ ਤਿਹ ਪਾਇਨ ਕੇ ਚਿਤ ਭੀਤਰ ਦੈ ਹੈ ॥
जो तजि काज सभै घर के तिह पाइन के चित भीतर दै है ॥
jo taj kaaj sabhai ghar ke teh pain ke chit bheetar dhai hai ||
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ਭੀਤਰ ਤੇ ਅਬ ਯਾ ਜਗ ਕੇ ਅਘ ਬ੍ਰਿੰਦਨ ਬੀਰ ਬਿਦਾ ਕਰਿ ਜੈ ਹੈ ॥੨੪੮੪॥
भीतर ते अब या जग के अघ बृंदन बीर बिदा करि जै है ॥२४८४॥
bheetar te ab yaa jag ke agh bira(n)dhan beer bidhaa kar jai hai ||2484||
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ਪ੍ਰੇਮ ਕੀਓ ਨ ਕੀਓ ਬਹੁਤੋ ਤਪ ਕਸਟ ਸਹਿਓ ਤਨ ਕੋ ਅਤਿ ਤਾਯੋ ॥
प्रेम कीओ न कीओ बहुतो तप कसट सहिओ तन को अति तायो ॥
prem keeo na keeo bahuto tap kasaT sahio tan ko at taayo ||
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ਕਾਸੀ ਮੈ ਜਾਇ ਪੜਿਓ ਅਤਿ ਹੀ ਬਹੁ ਬੇਦਨ ਕੋ ਕਰਿ ਸਾਰ ਨ ਆਯੋ ॥
कासी मै जाइ पड़िओ अति ही बहु बेदन को करि सार न आयो ॥
kaasee mai jai paRio at hee bahu bedhan ko kar saar na aayo ||
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ਦਾਨ ਦੀਏ ਬਸਿ ਹ੍ਵੈ ਗਯੋ ਸ੍ਯਾਮ ਸਭੈ ਅਪਨੋ ਤਿਨ ਦਰਬ ਗਵਾਯੋ ॥
दान दीए बसि ह्वै गयो स्याम सभै अपनो तिन दरब गवायो ॥
dhaan dhe'ee bas havai gayo sayaam sabhai apano tin dharab gavaayo ||
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ਅੰਤ੍ਰਿ ਕੀ ਰੁਚਿ ਕੈ ਹਰਿ ਸਿਉ ਜਿਹ ਹੇਤ ਕੀਓ ਤਿਨ ਹੂ ਹਰਿ ਪਾਯੋ ॥੨੪੮੫॥
अंतृ की रुचि कै हरि सिउ जिह हेत कीओ तिन हू हरि पायो ॥२४८५॥
a(n)tr kee ruch kai har siau jeh het keeo tin hoo har paayo ||2485||
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ਕਾ ਭਯੋ ਜੋ ਬਕ ਲੋਚਨ ਮੂੰਦ ਕੈ ਬੈਠਿ ਰਹਿਓ ਜਗ ਭੇਖ ਦਿਖਾਏ ॥
का भयो जो बक लोचन मूँद कै बैठि रहिओ जग भेख दिखाए ॥
kaa bhayo jo bak lochan moo(n)dh kai baiTh rahio jag bhekh dhikhaae ||
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ਮੀਨ ਫਿਰਿਓ ਜਲ ਨ੍ਰਹਾਤ ਸਦਾ ਤੁ ਕਹਾ ਤਿਹ ਕੇ ਕਰਿ ਮੋ ਹਰਿ ਆਏ ॥
मीन फिरिओ जल न्रहात सदा तु कहा तिह के करि मो हरि आए ॥
meen firio jal nrahaat sadhaa ta kahaa teh ke kar mo har aae ||
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ਦਾਦੁਰ ਜੋ ਦਿਨ ਰੈਨਿ ਰਟੈ ਸੁ ਬਿਹੰਗ ਉਡੈ ਤਨਿ ਪੰਖ ਲਗਾਏ ॥
दादुर जो दिन रैनि रटै सु बिहंग उडै तनि पंख लगाए ॥
dhaadhur jo dhin rain raTai su biha(n)g uddai tan pa(n)kh lagaae ||
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ਸ੍ਯਾਮ ਭਨੈ ਇਹ ਸੰਤ ਸਭਾ ਬਿਨੁ ਪ੍ਰੇਮ ਕਹੂ ਬ੍ਰਿਜਨਾਥ ਰਿਝਾਏ ॥੨੪੮੬॥
स्याम भनै इह संत सभा बिनु प्रेम कहू बृजनाथ रिझाए ॥२४८६॥
sayaam bhanai ieh sa(n)t sabhaa bin prem kahoo birajanaath rijhaae ||2486||
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ਲਾਲਚ ਜੋ ਧਨ ਕੇ ਕਿਨਹੂ ਜੁ ਪੈ ਗਾਇ ਭਲੈ ਪ੍ਰਭ ਗੀਤ ਸੁਨਾਯੋ ॥
लालच जो धन के किनहू जु पै गाइ भलै प्रभ गीत सुनायो ॥
laalach jo dhan ke kinahoo ju pai gai bhalai prabh geet sunaayo ||
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ਨਾਚ ਨਚਿਓ ਨ ਖਚਿਓ ਤਿਹ ਮੈ ਹਰਿ ਲੋਕ ਅਲੋਕ ਕੋ ਪੈਡ ਨ ਪਾਯੋ ॥
नाच नचिओ न खचिओ तिह मै हरि लोक अलोक को पैड न पायो ॥
naach nachio na khachio teh mai har lok alok ko paidd na paayo ||
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ਹਾਸ ਕਰਿਓ ਜਗ ਮੈ ਆਪੁਨੋ ਸੁਪਨੇ ਹੂ ਨ ਗਿਆਨ ਕੋ ਤਤੁ ਜਨਾਯੋ ॥
हास करिओ जग मै आपुनो सुपने हू न गिआन को ततु जनायो ॥
haas kario jag mai aapuno supane hoo na giaan ko tat janaayo ||
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ਪ੍ਰੇਮ ਬਿਨਾ ਕਬਿ ਸ੍ਯਾਮ ਭਨੈ ਕਰਿ ਕਾਹੂ ਕੇ ਮੈ ਬ੍ਰਿਜ ਨਾਇਕ ਆਯੋ ॥੨੪੮੭॥
प्रेम बिना कबि स्याम भनै करि काहू के मै बृज नाइक आयो ॥२४८७॥
prem binaa kab sayaam bhanai kar kaahoo ke mai biraj naik aayo ||2487||
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ਹਾਰਿ ਚਲੇ ਗ੍ਰਿਹ ਆਪਨੇ ਕੋ ਬਨ ਮੋ ਬਹੁਤੋ ਤਿਨ ਧਿਆਨ ਲਗਾਏ ॥
हारि चले गृह आपने को बन मो बहुतो तिन धिआन लगाए ॥
haar chale gireh aapane ko ban mo bahuto tin dhiaan lagaae ||
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ਸਿਧ ਸਮਾਧਿ ਅਗਾਧਿ ਕਥਾ ਮੁਨਿ ਖੋਜ ਰਹੇ ਹਰਿ ਹਾਥਿ ਨ ਆਏ ॥
सिध समाधि अगाधि कथा मुनि खोज रहे हरि हाथि न आए ॥
sidh samaadh agaadh kathaa mun khoj rahe har haath na aae ||
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ਸ੍ਯਾਮ ਭਨੈ ਸਭ ਬੇਦ ਕਤੇਬਨ ਸੰਤਨ ਕੇ ਮਤਿ ਯੌ ਠਹਰਾਏ ॥
स्याम भनै सभ बेद कतेबन संतन के मति यौ ठहराए ॥
sayaam bhanai sabh bedh kateban sa(n)tan ke mat yau Thaharaae ||
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ਭਾਖਤ ਹੈ ਕਬਿ ਸੰਤ ਸੁਨੋ ਜਿਹ ਪ੍ਰੇਮ ਕੀਏ ਤਿਹ ਸ੍ਰੀਪਤਿ ਪਾਏ ॥੨੪੮੮॥
भाखत है कबि संत सुनो जिह प्रेम कीए तिह स्रीपति पाए ॥२४८८॥
bhaakhat hai kab sa(n)t suno jeh prem ke'ee teh sreepat paae ||2488||
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ਛਤ੍ਰੀ ਕੋ ਪੂਤ ਹੌ ਬਾਮਨ ਕੋ ਨਹਿ ਕੈ ਤਪੁ ਆਵਤ ਹੈ ਜੁ ਕਰੋ ॥
छत्री को पूत हौ बामन को नहि कै तपु आवत है जु करो ॥
chhatree ko poot hau baaman ko neh kai tap aavat hai ju karo ||
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ਅਰੁ ਅਉਰ ਜੰਜਾਰ ਜਿਤੋ ਗ੍ਰਿਹ ਕੋ ਤੁਹਿ ਤਿਆਗਿ ਕਹਾ ਚਿਤ ਤਾ ਮੈ ਧਰੋ ॥
अरु अउर जंजार जितो गृह को तुहि तिआगि कहा चित ता मै धरो ॥
ar aaur ja(n)jaar jito gireh ko tuh tiaag kahaa chit taa mai dharo ||
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ਅਬ ਰੀਝਿ ਕੈ ਦੇਹੁ ਵਹੈ ਹਮ ਕਉ ਜੋਊ ਹਉ ਬਿਨਤੀ ਕਰ ਜੋਰਿ ਕਰੋ ॥
अब रीझि कै देहु वहै हम कउ जोऊ हउ बिनती कर जोरि करो ॥
ab reejh kai dheh vahai ham kau jouoo hau binatee kar jor karo ||
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ਜਬ ਆਉ ਕੀ ਅਉਧ ਨਿਦਾਨ ਬਨੈ ਅਤਿ ਹੀ ਰਨ ਮੈ ਤਬ ਜੂਝਿ ਮਰੋ ॥੨੪੮੯॥
जब आउ की अउध निदान बनै अति ही रन मै तब जूझि मरो ॥२४८९॥
jab aau kee aaudh nidhaan banai at hee ran mai tab joojh maro ||2489||
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ਦੋਹਰਾ ॥
दोहरा ॥
dhoharaa ||
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ਸਤ੍ਰਹ ਸੈ ਪੈਤਾਲਿ ਮਹਿ ਸਾਵਨ ਸੁਦਿ ਥਿਤਿ ਦੀਪ ॥
सत्रह सै पैतालि महि सावन सुदि थिति दीप ॥
satreh sai paitaal meh saavan sudh thit dheep ||
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ਨਗਰ ਪਾਵਟਾ ਸੁਭ ਕਰਨ ਜਮੁਨਾ ਬਹੈ ਸਮੀਪ ॥੨੪੯੦॥
नगर पावटा सुभ करन जमुना बहै समीप ॥२४९०॥
nagar paavaTaa subh karan jamunaa bahai sameep ||2490||
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ਦਸਮ ਕਥਾ ਭਾਗੌਤ ਕੀ ਭਾਖਾ ਕਰੀ ਬਨਾਇ ॥
दसम कथा भागौत की भाखा करी बनाइ ॥
dhasam kathaa bhaagauat kee bhaakhaa karee banai ||
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ਅਵਰ ਬਾਸਨਾ ਨਾਹਿ ਪ੍ਰਭ ਧਰਮ ਜੁਧ ਕੇ ਚਾਇ ॥੨੪੯੧॥
अवर बासना नाहि प्रभ धरम जुध के चाइ ॥२४९१॥
avar baasanaa naeh prabh dharam judh ke chai ||2491||
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ਸਵੈਯਾ ॥
सवैया ॥
savaiyaa ||
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ਧੰਨਿ ਜੀਓ ਤਿਹ ਕੋ ਜਗ ਮੈ ਮੁਖ ਤੇ ਹਰਿ ਚਿਤ ਮੈ ਜੁਧੁ ਬਿਚਾਰੈ ॥
धंनि जीओ तिह को जग मै मुख ते हरि चित मै जुधु बिचारै ॥
dha(n)n jeeo teh ko jag mai mukh te har chit mai judh bichaarai ||
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ਦੇਹ ਅਨਿਤ ਨ ਨਿਤ ਰਹੈ ਜਸੁ ਨਾਵ ਚੜੈ ਭਵ ਸਾਗਰ ਤਾਰੈ ॥
देह अनित न नित रहै जसु नाव चड़ै भव सागर तारै ॥
dheh anit na nit rahai jas naav chaRai bhav saagar taarai ||
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ਧੀਰਜ ਧਾਮ ਬਨਾਇ ਇਹੈ ਤਨ ਬੁਧਿ ਸੁ ਦੀਪਕ ਜਿਉ ਉਜੀਆਰੈ ॥
धीरज धाम बनाइ इहै तन बुधि सु दीपक जिउ उजीआरै ॥
dheeraj dhaam banai ihai tan budh su dheepak jiau ujeeaarai ||
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ਗਿਆਨਹਿ ਕੀ ਬਢਨੀ ਮਨਹੁ ਹਾਥ ਲੈ ਕਾਤਰਤਾ ਕੁਤਵਾਰ ਬੁਹਾਰੈ ॥੨੪੯੨॥
गिआनहि की बढनी मनहु हाथ लै कातरता कुतवार बुहारै ॥२४९२॥
giaaneh kee baddanee manahu haath lai kaatarataa kutavaar buhaarai ||2492||
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ਇਤਿ ਸ੍ਰੀ ਦਸਮ ਸਿਕੰਧ ਪੁਰਾਣੇ ਬਚਿਤ੍ਰ ਨਾਟਕ ਗ੍ਰੰਥੇ ਕ੍ਰਿਸਨਾਵਤਾਰੇ ਧਯਾਇ ਇਕੀਸਵੋ ਸਮਾਪਤਮ ਸਤੁ ਸੁਭਮ ਸਤੁ ॥
इति स्री दसम सिकंध पुराणे बचित्र नाटक ग्रंथे कृसनावतारे धयाइ इकीसवो समापतम सतु सुभम सतु ॥
eit sree dhasam sika(n)dh puraane bachitr naaTak gra(n)the kirasanaavataare dhayai ikeesavo samaapatam sat subham sat ||
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